भोपाल . टाइगर स्टेट के खिताब के बाद मप्र अब घड़ियाल स्टेट भी बन गया। चंबल नदी पर बने घड़ियाल अभयारण्य में घड़ियालों की तादाद बढ़कर अब 1255 हो गई है। 526 बाघों के साथ प्रदेश काे हाल ही में टाइगर स्टेट का दर्जा मिला था। जलीय जीव के संरक्षण और संवर्धन के मामले में भी एक अाैर उपलब्धि हासिल हुई। वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया की गई रिपोर्ट के मुताबिक चंबल नदी में 1255 घड़ियाल हाेना पाया गया। बिहार की गंडक नदी में 255 घड़ियाल मिले।
प्रदेश के मुरैना के जिला वन मंडल अधिकारी पीडी ग्रेवियल ने बताया कि विभागीय गणना में वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया की रिपोर्ट से भी ज्यादा घड़ियाल पाए गए हैं। विभागीय गणना के अनुसार घड़ियालों की संख्या 1876 है। 1980 के दशक में दुनिया में घड़ियालों की संख्या में बेहद कमी आई थी। तब केवल 200 घड़ियाल ही बचे थे।
ग्रो एंड रिलीज कार्यक्रम... हर साल नदी में छोड़ते हैं 200 घड़ियाल
उस समय देश में 96 और चंबल में घड़ियालों की संख्या 46 हाेना पाया गया था। उसके बाद चंबल नदी के 435 किमी क्षेत्र को चंबल घड़ियाल अभयारण्य घोषित किया था। चंबल नदी मप्र, राजस्थान व उत्तरप्रदेश की सीमा पर बहती है। नदी में घड़ियालों की वृद्धि में वजह देवरी ईको सेंटर है। यहां घड़ियाल के अंडे लाए जाते हैं और उनसे बच्चे निकलने के बाद उनका पालन किया जाता है। उनकी आयु तीन साल हाेने पर नदी में छोड़ दिया जाता है। हर साल 200 घड़ियाल को ग्रो एंड रिलीज कार्यक्रम के तहत नदी में छोड़ा जाता है।
वन मंत्री सिंघार बोले- यह उपलब्धि अधिकारियों के परिश्रम का नतीजा
दुनिया में नेपाल, बांग्लादेश और भारत सहित गिनती के ही देश हैं, जहां घड़ियाल पाए जाते हैं। इनके संरक्षण और संवर्धन में चंबल नदी में किए जा रहे काम के नतीजे सामने हैं। इस उपलब्धि पर राज्य के वन मंत्री उमंग सिंघार ने प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा, “यह उपलब्धि अधिकारियों के परिश्रम का नतीजा है। घड़ियाल देश से विलुप्त होने के कगार पर थे, किंतु राज्य में किए गए अथक प्रयासों से घड़ियाल को विलुप्त होने से बचाया है।